Fiza tanvi

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वाक़िफ़ थी इश्क़ से..

वाकिफ थीं.  
इश्क़ से महबूब से अनजान थी. 
 वो उजड़ा हुआ चमन था. 
 और मैं कारसाज़ थीं. 
सहती रही उसकी बेरुखी को. 
ये सोच कर की वो आखिरी बार थीं. 
वो उजड़ा हुआ चमन था. 
और मैं कारसाज़ थीं. 
 खताओं का समंदर ठहरा था. 
उसके अंदर.
 मेरा कुछ भी कहना.
 उसके लिए गलत बात थी. 
 वो  उजड़ा हुआ चमन था. 
और मै कारसाज़ थीं.

नाम.... फ़िज़ा तन्वी 
उत्तरप्रदेश.... पीलीभीत

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